पुस्तकें बदलाव का माध्यमः पद्मश्री डॉ. बी.के.एस. संजय

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देहरादून। संजय ऑर्थाेपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर दून विहार, जाखन, राजपुर रोड, देहरादून के द्वारा विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकसभा सांसद, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड डॉ. रमेंश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने सम्मानित अतिथि औरोवैली आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी ब्रह्मदेव एवं विशिष्ट अतिथि पर्यावरणविद् पद्म कल्याण सिंह रावत, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, देहरादून महानगर के बी.जे.पी. अध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल, झांसी विश्वविद्यालय के प्रो. पुनीत बिसारिया एवं कार्यक्रम के आयोजक पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय के साथ दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि पुस्तकें ऐसी दोस्त हैं कि जब भी आप उनका साथ चाहते हो वह आपके साथ हो जाती हैं और अपने पूरे कर्तव्य और जिम्मेदारी निभाती हैं। उनके लिए समय और परिस्थितियों की बाधता नहीं होती है जैसे कि व्यक्तियों के साथ होती है। लेखक लिखने के बाद मर जाते हैं पर पुस्तकें अमर रहती हैं जैसे हमारे ग्रंथ रामायण, महाभारत, कुरान, बाइबल, गुरु ग्रंथ साहब, आगाम और पिटिक इत्यादि। जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं तो ऐसा लगता है मेरा लेखक से सीधा साक्षात्कार हो रहा है और यही भावना उसमें लेखकों की लेखन के साथ अमर बनाती हैं। डॉ. संजय ने सभी से अनुरोध किया कि हम सभी को बचपन से ही पढ़ने की आदत डालनी चाहिए और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
कार्यकम के सम्मानित अतिथि स्वामी ब्रह्मदेव ने कहा कि चाहे हम किताबें कितना भी पढ़ लें लेकिन अपनी जिंदगी को पढ़ना सबसे बडा काम है। अपने आप को समझें, जानें और खुद को पहचानें। पुस्तकों से ही जीवन का विकास होता है इसलिए पढ़ते रहें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय रमेश पोखरियाल निशंक जी ने कहा कि पुस्तकों का महत्व असीमित है। आज हम जो भी हैं, जहा भी हैं, यह सब पुस्तकों की ही देन है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा बोलते हैं और हम जैसा बोलते हैं, वैसा करते हैं इसलिए अच्छा सोचें, अच्छा करें और अच्छे बनें। डॉ. योगेंद्र नाथ अरुण ने कहा कि पुस्तकें आपकी सबसे अच्छी दोस्त हैं, बशर्तें तुम्हें चुनना आता हो। आज संस्कारों एवं संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है और पुस्तकें ही इस कार्य को करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। डॉ. सुधा रानी पांडे ने कहा कि हम सभी पुस्तकें पढ़ कर ही आगे बढ़े हैं। पुस्तकें हमारी मानसिक, वैचारिक, बौद्धिक एवं सैद्धांतिक विचारों की अवधारणा को प्रभावित करते हैं। प्रो. प्रियदर्शन पात्रा ने कहा कि हमें स्वयं पढ़ना चाहिए और दूसरों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। विश्वंबर नाथ बजाज ने कहा कि हमारे जीवन में धार्मिक ग्रंथों का महत्वपूर्ण योगदान है।  
प्रो सुशील उपाध्याय ने कहा कि बहुत सारे शैक्षणिक संस्थानों एवं पुस्तकालयों में बहुत सारी पुस्तकें हैं परंतु पुस्तकें केवल अलमारियों तक पहुंची हैं। रूबा बिजनौरी ने शायरी एवं गजल गायन से सबका मनोरंजन किया। डॉ. एस. एन. सिंह ने कहा कि हमें अनावश्यक खर्चों के बजाय पुस्तकें खरीदनी चाहिए जो हमारे जीवन को बनाए और संवारे। हास्य कवि राकेश एवं अरुण भट्ट ने कविता का पाठ किया। रजनीश त्रिवेदी ने कहा कि किताबें अंधकार में उजाला होती हैं और हमारे जीवन का उद्धार करती हैं। कार्यक्रम का संचालन योगेश अग्रवाल के द्वारा किया गया। ऑर्थाेपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों, वक्ताओं, छात्र-छात्राओं, संस्था के सभी कर्मचारियों, पत्रकार बंधुओं एवं सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान प्रो. पी.के. गर्ग, डॉ. सुनील सोनकर, जे.एस. हलधर, भागीरथ शर्मा, बैचेन कंडियाल, असीम शुक्ला, डॉ. सुजाता संजय, डॉ. गौरव संजय, डॉ. प्रतीक, आर.पी. गौतम, शिव मोहन, सपना पांडे, हरिओम सिंह आदि मौजूद रहे।

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