पांडवों के दर्शन को लेकर मायके पहुंचने लगी धियाणियां

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रुद्रप्रयाग। जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत दरमोला के राजस्व ग्राम तरवाड़ी में चल रहे पांडव नृत्य में पांडव अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य कर भक्तों को खुशहाली का आशीष दे रहे हैं। पांडवों के दर्शन के लिए गांव की धियाणियां भी अपने मायके पहुंचनी शुरू हो गई हैं। आगामी 29 नवम्बर को प्रसाद वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन होगा।
गत 12 नवम्बर एकादशी पर्व पर अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल गंगा स्नान के साथ भरदार क्षेत्र के तरवाड़ी गांव में पांडव नृत्य का आयोजन शुरु हुआ था। रविवार को पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों के साथ देव निशानों की विशेष पूजा-अर्चना कर आरती की। जिसके बाद पांडव पश्वों ने नृत्य करने वाले स्थान पांडव चौक के चारों कोने की पूजा-अर्चना की तथा ढोल सागर की ताल पर देवता अवतरित हुए। पुजारी ने पांडवों को अस्त्र-शस्त्र देने के बाद ही पांडवों ने ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य शुरू किया। प्रतिदिन पांवडों का नुत्य भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बना है। पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, तरवाड़ी, स्वीली, सेम, मेदनपुर समेत कई दूर-दराज क्षेत्रों से ग्रामीण पहुंच रहे हैं। पांडव चौक में पहुुंच रहे भक्तजन बद्रीनाथ एवं शंकरनाथ देव निशानों को भेंट अर्पित कर अपने परिवार की खुशहाली की कामना कर रहे है। पांडव नृत्य देखने के लिए गांव बेटियों का अपने मायके पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। ताकि वह भी पांडवों का आशीष ले सके।
पांडव नृत्य समिति तरवाड़ी के अध्यक्ष करण रावत ने बताया कि 27 नवम्बर को नौगरी का कौथिग, 28 नवम्बर को गेंडे का कौथिग व सिरोता एवं 29 नवम्बर को नारायण के फल वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को पांडव नृत्य में पहुंचने की अपील की है। इस अवसर पर पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी, नत्था सिंह, जसपाल सिंह पंवार, वीर सिंह, शूरवीर सिंह, राजेन्द्र सिंह समेत बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे।

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