देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान के वनोपज प्रभाग ने लैन्टाना से पुनःसंयोजित लकड़ी और हस्तनिर्मित कागज पर पांच दिवसीय अल्प अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कैम्पा द्वारा प्रायोजित किया गया है। वनोपज प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, 25 से 29 नवम्बर तक लैन्टाना से पुनःसंयोजित लकड़ी और हस्तनिर्मित कागज पर पांच दिवसीय अल्प अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
यह प्रशिक्षण कोशाधु एवं कागज शाखा तथा संग्रथित काष्ठ शाखा, वनोपज प्रभाग में आयोजित किए जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों को लैन्टाना जैसी आक्रमक प्रजाति से, पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए विभिन्न उत्पादों के विकास पर व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है। डॉ. रेनू सिंह, वन सेवा अधिकारी, निदेशक वन अनुसंधान संस्थान ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया और वन और कृषि भूमि से लैन्टाना के उन्मूलन में राज्य वन विभागों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों से राज्य विभागों के साथ सहयोग करके अपने सीखे गए ज्ञान को वास्तविक स्तर पर लागू करने और लैन्टाना आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने का आह्वान किया। डॉ. रेनू सिंह ने इन नवाचार उत्पादों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन विपणन रणनीतियों की भी अहमियत पर जोर दिया। भारत भर के विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिभागी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, जिनका उद्देश्य स्थिरता से संबंधित प्रथाओं को समझना और उन्हें लागू करना है, जिससे पर्यावरण और स्थानीय समुदायों को लाभ मिल सके। कार्यक्रम में डॉ. डी. पी. खाली, प्रमुख वनोपज प्रभाग, डॉ. पी. के. गुप्ता, प्रभारी अधिकारी, कोशाधु एवं कागज शाखा, डॉ. विकास राणा, डॉ. रंजना, डॉ. शुअंक और वनोपज प्रभाग के अन्य प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारियों ने भाग लिया।