राजकीय शिक्षक संघ के बैनर के तले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर प्रदेश भर के शिक्षक

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रामनगर। राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर सोमवार से पूरे प्रदेश में राजकीय शिक्षकों ने शिक्षण बहिष्कार आंदोलन शुरू किया। आंदोलन के पहले ही दिन हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में पढ़ाई पूरी तरह ठप रही। संघ का कहना है कि उन्हें मजबूर होकर आंदोलन की राह अपनानी पड़ी है। संघ ने एक सितंबर तक आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने की रणनीति तैयार की है।
राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड ने सरकार और शिक्षा विभाग पर लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा न करने का आरोप लगाते हुए सोमवार से अनिश्चितकालीन शिक्षण बहिष्कार आंदोलन की घोषणा की थी। आंदोलन का असर पहले ही दिन साफ नजर आया। प्रदेशभर के सरकारी हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों में कक्षाओं का संचालन नहीं हुआ।
रामनगर में संघ के प्रांतीय नेता नवेंदु मठपाल ने बताया कि शिक्षकों की प्रमुख मांगों में प्रधानाचार्य सीधी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाना, सभी स्तरों पर पदोन्नति सूची जारी करना और स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू करना शामिल है। उनका कहना है कि विगत दो सालों में सरकार और विभागीय अधिकारियों ने शिक्षकों से किए गए वादों को पूरा नहीं किया। इस कारण शिक्षकों को मजबूर होकर आंदोलन की राह अपनानी पड़ी।
मठपाल ने कहा कि यह आंदोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ेगा। सोमवार से शिक्षण बहिष्कार शुरू हो गया है। इसके बाद 25 अगस्त को ब्लॉक मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन, 27 अगस्त को जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन और 29 अगस्त को मंडल मुख्यालयों पर प्रदर्शन होगा। आंदोलन का दायरा लगातार बढ़ाते हुए 1 सितंबर से जिलेवार शिक्षा निदेशालयों पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
रामनगर ब्लॉक अध्यक्ष संजीव कुमार और मंत्री अनिल कड़ाकोटी ने बताया कि ब्लॉक के सभी राजकीय शिक्षक-शिक्षिकाओं ने शिक्षण बहिष्कार में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षकों की मांगों को जल्द मान लेना चाहिए। अन्यथा आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। इस आंदोलन का असर केवल विद्यालयों तक सीमित नहीं रहा। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (यूके बोर्ड) कार्यालय में कार्यरत सभी शोध अधिकारी भी शिक्षण बहिष्कार में शामिल हुए। इसके चलते कई प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्य प्रभावित हुए।

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