देहरादून। विधानसभा में विपक्ष के उप नेता भुवन कापड़ी को रजत जयंती के अवसर पर आयोजित विशेष सत्र में बोलने का मौका क्या मिला उन्होंने तो राज्य के सर्वव्यापी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शासन में बैठे नेताओं और अधिकारियों दोनों को ही धो डाला।
उनका कहना है कि विधायक बनने के बाद जब यह जाना कि यहां तो विधायक निधि से काम करने में कमीशन देना पड़ता है तो उन्हें बहुत ही तकलीफ हुई। उनका कहना है कि बहुत दबाव के बाद भी वह धार्मिक कामों के लिए 5 प्रतिशत तथा अन्य कामों पर 10 फीसदी कमीशन देते हैं। साथ ही उनका कहना है कि इस बात को सभी विधायक और मंत्री जानते हैं।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत जिन्होंने राज्य में लोकायुक्त गठन का वायदा पूरा करने का प्रयास किया था और दबाव के कारण इस प्रयास में असफल रहने पर जिन्हें यह कहना पड़ा था कि जब राज्य में भ्रष्टाचार ही नहीं रहा तो लोकायुक्त की भी क्या जरूरत है? कापड़ी के बयान के बाद इसके पीछे का सच समझा जा सकता है कि उन्होंने क्यों ऐसा कहा था तथा राज्य में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है। भुवन कापड़ी यही नहीं रुकते वह जॉर्ज एवरेस्ट की बात भी कहते हैं कि सरकार ने इसे विकसित करने में कितने करोड़ खर्च किए और फिर एक रुपए की दर पर (कौड़ियों के भाव) इसे महाराज जी को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह सरकार से पूछा था कि इससे उसे क्या फायदा हुआ।
उधर इस विशेष सत्र में टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय की वह टोपी भी चर्चाओं के केंद्र में रही जिसे पहनकर वह सत्र में पहुंचे थे। इस टोपी पर लिखा था ट्टगंगा बचाओ हिमालय बचाओ, अपनी ही सरकार से यह मांग करने वाले किशोर से चुटकी लेते हुए कई लोगों ने पूछा भाई साहब क्या फिर कांग्रेस ज्वाइन कर ली है क्या? किशोर उपाध्याय का कहना था कि वैसे टोपी पहनाना अच्छा नहीं माना जाता। मैंने किसी को टोपी नहीं पहनानी। खुद टोपी पहनी है। उधर पूर्व मेयर व धर्मपुर विधायक चमोली ने इस विशेष सत्र में मूल निवास प्रमाण पत्र का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लोगों के मूल निवास प्रमाण पत्र नहीं बनते हैं। राज्य बाहर के लोगों के लिए धर्मशाला बन गया है। प्रीतम सिंह का कहना है कि रजत जयंती विशेष सत्र में सभी विधायकों को अपनी बात खुलकर रखने का मौका मिलना चाहिए था लेकिन यह हो नहीं सका।







