हरिद्वार में 2027 के अर्ध कुंभ को पूर्ण कुंभ की तरह मनाएंगेः धामी

हरिद्वार। तीर्थ नगरी हरिद्वार में 2027 में लगने वाले अर्ध कुंभ मेले को कुंभ मेला की तरह मनाया जाएगा। आज हरिद्वार में गंगा के पावन तट पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के तेरह अखाड़े के संतों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने इस बात का ऐलान किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी 13 अखाड़े के महंतों संतो को नमन करते हुए 2027 के अर्ध कुंभ मेला की तरह सभी संतो ने हर हर महादेव के नारे लगाकर स्वागत किया और मुख्यमंत्री को आशीर्वाद दिया।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज और महामंत्री श्री महंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा का स्वागत करते हैं। यह ऐतिहासिक घोषणा है और हरिद्वार में 2027 लगने वाले कुंभ को भव्यता और दिव्यता से मनाया जाएगा।
आज सभी साधु संतों ने मुख्यमंत्री के सामने कुंभ 2027 के अमृत स्नान की घोषणा भी की। कुंभ की अवधि एक जनवरी से 30 अप्रैल तक रहेगी और पहला स्नान 14 अप्रैल को मकर संक्रांति के दिन शुरू होगा और पहला अमृत स्नान महाशिवरात्रि के दिन होगा और मुख्य स्नान अमृत स्नान मेष संक्रांति 14 अप्रैल को होगा।
हरिद्वार। 2027 अर्धकुंभ मेले की विधिवत शुरुआत हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार हरिद्वार पहुंचे। जहां उन्होंने डामकोठी में सभी तेरह अखाड़ों के साधु संतों के साथ बैठक शुरू कर दी है। बैठक में सभी बड़े साधु संत मौजूद हैं। सीएम धामी ने सभी साधु संतों को फूलमाला और शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया।
बता दें सरकार 2027 अर्धकुंभ मेले को पूर्ण कुंभ के रूप में आयोजित करेगी। इसलिए आज कुंभ की तर्ज पर हरिद्वार में पेशवाई, शाही स्नान और छावनियों को लेकर चर्चा की जाएगी। कार्यक्रम में गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे और आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, कुंभ मेलाधिकारी सोनिका, डीएम मयूर दीक्षित, एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल और अपर मेलाधिकारी दयानन्द सरस्वती समेत कई विभागों के अधिकारी भी मौजूद हैं।
देश में दो ही ऐसे स्थान हैं, जहां पर अर्ध कुंभ मेला लगता है। पहला हरिद्वार और दूसरा उत्तर प्रदेश का प्रयागराज। प्रयागराज में लगने वाले अर्ध कुंभ मेले को माघ मेले का नाम दिया जाता है, जबकि हरिद्वार में आयोजित होने वाले मेले को अर्ध कुंभ ही कहा जाता है।
अर्ध कुंभ को लेकर भी सरकार बड़े स्तर पर तैयारियां कर रही है। क्योंकि अर्ध कुंभ में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं। हालांकि, इस दौरान कुंभ मेले की तरह अखाड़ों की पेशवाई नहीं निकलती है। साथ ही साधु-संतों के लिए कुंभ की तरह अर्ध कुंभ में कोई खास व्यवस्था भी नहीं होती है। महाकुंभ में ही सरकार सबसे अधिक सरकार साधु संतों के लिए ही व्यवस्था करती है। मान्यता भी यही है कि महाकुंभ हकीकत में साधु-संतों का ही मेला होता है। परंतु इस बार राज्य सरकार ने हरिद्वार में आयोजित होने वाले अर्ध कुंभ मेले को कुंभ की तर्ज पर करवाने का फैसला लिया है।
कुंभ को लेकर गंगा घाटों को मजबूत किया जा रहा है, वहीं कुछ नए घाट भी बनवाए जा रहे हैं। सुरक्षा और इंतजामों को देखते हुए हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र को कई जोन और सेक्टरों में बांटा गया है। मेला अधिकारी सोनिका सिंह लगातार अधिकारियों के साथ बैठक लेकर अर्ध कुंभ मेले की तैयारी को रफ्तार दे रही हैं।

कुंभ मेला 2027 (अर्ध कुंभ) के स्नान तिथियों का हो गया ऐलान
हरिद्वार। उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ मेला 2027 (अर्ध कुंभ) के स्नान तिथियों का ऐलान हो गया है। जनवरी से अप्रैल तक चलने वाले इस मेले में चार अमृत (शाही) स्नान होंगे। पहली बार हरिद्वार में अर्धकुंभ का पूर्ण कुंभ की तर्ज पर आयोजन होगा, जो सदियों पुरानी परंपरा में ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है। साधु संतों ने भी अर्ध कुंभ मेले को पूर्ण कुंभ मेले की तर्ज पर आयोजित करने पर सहमति भी जता दी है। दरअसल, हरिद्वार में कुंभ मेला 2027 के सफल आयोजन को लेकर अखाड़ों के साथ आयोजित बैठक की गई थी। जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए। यह बैठक डामकोठी में हुई। इस बैठक में सभी 13 अखाड़ों के साधु संत शामिल हुए। बैठक में सभी 13 अखाड़ों के दो-दो सचिवों को आमंत्रित किया गया था।इस दौरान सीएम पुष्कर धामी ने सभी साधु संतों को फूलमाला और शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। वहीं, कुंभ मेले के भव्य आयोजन के लिए सीएम धामी ने सभी संतों से सुझाव भी मांगे। सीएम धामी ने साधु संतों से सभी सुझावों को कुंभ मेले में शामिल करने का आश्वासन दिया।
कुंभ मेले को लेकर सभी साधु संतों ने अपना आशीर्वाद और सहयोग देने की बात कही है। कुंभ में अखाड़ों और साधु संतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आज सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। निश्चित रूप से कुंभ का दिव्य और भव्य आयोजन कराया जाएगा। सरकार साधु संतों की मांग पर सभी तैयारियां कर रही है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि इस अर्ध कुंभ को सरकार पूर्ण कुंभ के रूप में आयोजित कर रही है। जिसमें सभी साधु संतों की सहमति है।
अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि ग्रह नक्षत्रों के अनुसार, इस बार उज्जैन कुंभ एक साल बाद होगा। सरकार पहली बार अर्ध कुंभ को कुंभ मेले के रूप में आयोजित करने जा रही है। सभी साधु संत सरकार के साथ हैं। वहीं, निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी महाराज का कहना है कि हरिद्वार कुंभ को लेकर संतों में कोई मतभेद नहीं है। सभी का समर्थन सरकार को है। कुंभ मेले को लेकर मेला प्रशासन की ओर से सभी 13 अखाड़ों के दो-दो सचिवों को निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से आह्वान अखाड़े के सचिव बैठक में नहीं पहुंच पाए।

प्रमुख स्नान पर्व की तिथियां

14 जनवरी 2027 (मकर संक्रांति)
6 फरवरी 2027 (मौनी अमावस्या)
11 फरवरी 2027 (बसंत पंचमी)
20 फरवरी 2027 (माघ पूर्णिमा)
6 मार्च 2027 (महाशिवरात्रि) पहला अमृत स्नान
8 मार्च 2027 (सोमवती/फाल्गुन अमावस्या) दूसरा अमृत स्नान
14 अप्रैल 2027 (मेष संक्रांति/वैशाखी) तीसरा अमृत स्नान
20 अप्रैल 2027 (चौत्र पूर्णिमा) चौथा शाही यानी अमृत स्नान

अन्य तिथियां
7 अप्रैल नव संवत्सर
15 अप्रैल रामनवमी का स्नान भी शामिल

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