देहरादून। प्रदेश के एक युवा मनोज कोठियाल ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री और राज्य चुनाव आयुक्त को एक ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव की प्रक्रिया से लेकर मतगणना तक के सुझाव दिए हैं जिससे धनबल, खरीद फरोख्त और दबंगई को रोका जा सकता है। ऐसे में त्रिस्तरीय चुनाव के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष के चुनाव एक साथ होने से समय, धन और सरकारी खर्चे पर कमी आ सकती है। मनोज कोठियाल ने सुझाव दिया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समय ही सीधे वोट से कराया जाए, ताकि खरीद-फरोख्त और सांठगांठ पर लगाम लग सके।
पत्र में मनोज कोठियाल ने गहरा खेद जताते हुए लिखा-धराली की आपदा में जनता एकजुटता की उम्मीद कर रही थी, लेकिन जीते हुए कई प्रतिनिधि धन बल, खरीद-फरोख्त और जोड़-तोड़ की राजनीति में उलझे रहे। आपदा प्रभावित लोग बुनियादी ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल अपने-अपने संगठनात्मक समीकरणों और सत्ता की कुर्सी के खेल में उलझे नज़र आ रहे थे। यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। उन्होंने आगे कहा की हमें एक ऐसी व्यवस्था चाहिए जहाँ धनबल नहीं, बल्कि जनता का विश्वास विजयी हो।
पत्र में मनोज कोठियाल ने स्पष्ट कहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव गाँव की लोकतांत्रिक रीढ़ हैं, और यदि यहाँ ही पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगेंगे तो लोकतंत्र की आत्मा आहत होगी। उन्होंने राज्यपाल से निवेदन किया है कि वे सरकार को चुनाव प्रणाली में आवश्यक सुधार करने का निर्देश दें, ताकि धनबल और बाहुबल का प्रभाव समाप्त हो सके, खरीद-फरोख्त जैसी प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जा सके। साथ ही जनता की सीधी भागीदारी और मत की पवित्रता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान हुई गोलीकांड की घटना का भी अपने सुझाव पत्र में उल्लेख किया और कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने वाली स्थिति है। मुख्य विपक्षी दल ने भी गैरसैण में विधानसभा मानसून सत्र के दौरान इस प्रकरण पर ध्यान आकर्षित किया और उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि विपक्षी दल ने विधानसभा के भीतर रातभर धरना दिया हो। इस बीच, माननीय उच्च न्यायालय ने भी नैनीताल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई गोलीबारी एवं अपहरण की घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश में गन कल्चर और कट्टा संस्कृति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसी काली विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए घातक होगी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए माननीय न्यायालय ने प्रदेश के गृह सचिव, डीजीपी और उधमसिंह नगर के एसएसपी को तलब कर जवाब भी मांगा गया है। मनोज ने अपने पत्र में लिखा है कि वर्तमान प्रणाली में धनबल और खरीद-फरोख्त जैसी प्रवृत्तियाँ लोकतंत्र के मूल्यों को आहत कर रही हैं। गाँव की सत्ता, जो लोकतंत्र की सबसे सशक्त नींव मानी जाती है, वहाँ ही यदि लेन-देन और सौदेबाज़ी हावी हो जाए तो आम जनता का विश्वास टूटना स्वाभाविक है।