देहरादून। देश के प्रथम गांव माणा स्थित सरस्वती मंदिर में मानव मूर्तियों को हटाने और मंदिर को श्री बद्रीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को हस्तांतरित कराने के लिए लम्बे समय से संघर्षरत भैरव सेना ने अब बीकेटीसी के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) बीडी सिंह विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। वाहिनी ने बीडी सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उनके कार्यकाल की विस्तृत जांच और उनकी संपत्ति की जांच की मांग की है। भैरव सेना का है कि आरोप बीडी सिंह जोड़तोड़ कर बीकेटीसी में सलाहकार आदि जैसे पद पर नियुक्त होने के लिए प्रयासरत हैं। यदि ऐसा हुआ तो इसका विरोध किया जाएगा।
भैरव सेना के केंद्रीय अध्यक्ष संदीप खत्री ने प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में बीडी सिंह पर कई आरोप लगाए हैं। ज्ञापन की प्रति प्रदेश के राज्यपाल व मुख्यमंत्री के अलावा प्रवर्तन निदेशालय को भी भेजी गयी है। ज्ञापन में कहा गया है कि केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम को भव्य-दिव्य स्वरुप देना प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकताओं में शामिल है। मोदी के प्रयासों से वर्तमान में दोनों धामों में लगभग 12-13 सौ करोड़ रुपए की लागत से मास्टरप्लान के तहत पुनर्निर्माण व जीर्णोद्वार के कार्य चल रहे हैं।
ज्ञापन में कहा गया कि बद्रीनाथ व केदारनाथ धाम करोड़ों-करोड़ों हिंदुओं की आस्था व श्रद्धा के केंद्र हैं। किन्तु पूर्व में मंदिर समिति में सीईओ के पद पर तैनात रहे बीडी सिंह द्वारा जिस प्रकार से इन धामों की गरिमा को ठेस पहुंचाने और वहां भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया, वो सनातन विरोधी है और इससे श्रद्धालुओं की आस्था को गहरी चोट पहुंची है। धार्मिक स्थलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होनी आवश्यक है, ताकि सनातन धर्मावलंबियों की आस्था व विश्वास बना रहे।
आरोप लगाया गया है कि वन सेवा के अधिकारी बीडी सिंह नियम विरुद्ध लगभग दस वर्ष तक बीकेटीसी में सीईओ के पद पर तैनात रहे हैं। जबकि, नियमानुसार कोई भी सरकारी कार्मिक प्रतिनियुक्ति पर तीन वर्ष अथवा अधिकतम पांच वर्ष तक ही कार्यरत रह सकता है। बीकेटीसी के एक्ट में सीईओ को बहुत सीमित अधिकार हैं। मगर श्री सिंह ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर ऐसे कार्य किए, जिनके लिए वो अधिकृत नहीं थे।
श्री सिंह के कार्यकाल में मन्दिर समिति में बड़ी संख्या में अवैध रूप से अस्थाई व स्थायी कार्मिकों की नियुक्ति की गई। कार्मिकों को नियम विरुद्ध प्रोन्नति व वेतन वृद्धि दी गई। मंदिर समिति के धन को खुर्द-बुर्द करने के मकसद से विभिन्न संस्थाओं को वितरित किया गया। यही नहीं मन्दिर समिति की भूमि व संपत्ति को बिना समुचित प्रक्रिया के लीज व किराए पर दे दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीकेटीसी के सीईओ पद से हटने के बाद श्री सिंह ने तत्काल स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी। मगर इसके बाद भी बीडी सिंह का बीकेटीसी से मोह नहीं छूट रहा है। संज्ञान में आया है कि श्री सिंह किसी भी तरह से फिर से मंदिर समिति में घुसने के प्रयासों में हैं। वो अपने संबंधों और प्रभाव का प्रयोग कर मंदिर समिति में अपने लिए सलाहकार अथवा कोई अन्य पद सृजित कराने की कोशिशों में लगे हैं। जबकि मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी रहने के दौरान समय-समय पर विभिन्न लोगों द्वारा बीडी सिंह के विरुद्ध शिकायतें प्रदेश सरकार व शासन को भेजी जाती रहीं हैं। मगर इनके प्रभाव के कारण शिकायतें कूड़े के ढेर में चली जाती रहीं हैं।