देहरादून। डीआईटी यूनिवर्सिटी, देहरादून ने अपने परिसर में पहली बार नासा स्पेस ऐप हैकाथॉन-2025 का सफल आयोजन किया। इस राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में पूरे भारत से 75 से अधिक टीमों ने भाग लिया और नासा अधिकारियों एवं साझेदारों के समक्ष अपने नवाचारी व्यवसायिक और प्रौद्योगिकी संबंधी विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर श्रीराम सी.ए., लर्निंगसागा के मुख्य परिचालन अधिकारी एवं मेटासेज एलायंस के कंसल्टिंग निदेशक, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने छात्रों को इंडस्ट्री 4.0 से इंडस्ट्री 5.0 की ओर हो रहे तीव्र बदलावों के बारे में बताया और उन्हें उभरती तकनीकों का उपयोग समाज के कल्याण हेतु करने तथा वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए आदर्श प्रस्तुत करने हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. डॉ. जी. राघुराम, कुलपति, डीआईटी यूनिवर्सिटी ने किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यवसायिक विचारों को तकनीकी नवाचारों से जोड़कर ही बड़े स्तर पर प्रभाव डाला जा सकता है। वहीं प्रो. डॉ. अनिल सुब्बाराव पायला, कुलपति, आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया कि वे तकनीकी समाधानों के साथ-साथ प्रबंधन की रचनात्मक दृष्टि भी सामने लाएँ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में सुश्री पूजा टाक, प्रविश्या टेक की संस्थापक एवं नासा स्पेस ऐप हैकाथॉन की लीड, ने छात्रों को इस हैकाथॉन की वैश्विक प्रासंगिकता के बारे में मार्गदर्शन दिया और कार्यक्रम की रूपरेखा साझा की। उन्होंने विजेताओं की घोषणा भी की। जिसमें प्रथम रनर-अप डीआईटी यूनिवर्सिटी की टीम, द्वितीय रनर-अप आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी की टीम व तृतीय रनर-अप एसएचआरयू और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी की संयुक्त टीम रही।
प्रवीन सैवाल, डीन, डीआईटी यूनिवर्सिटी एवं उत्तराखंड स्टेट लीड (हैकाथॉन), ने इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पहल उत्तराखंड के छात्र समुदाय की बढ़ती क्षमता को दर्शाती है, जो अब राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो चुका है। आंध्र प्रदेश, हैदराबाद और महाराष्ट्र से भी टीमें इस आयोजन का हिस्सा बनीं। सभी छात्रों को नासा की ओर से सर्टिफिकेट ऑफ पार्टिसिपेशन प्रदान किए गए। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि डीआईटी यूनिवर्सिटी भविष्य में युवाओं के लिए ऐसे और अवसर सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगी। यह आयोजन डीआईटी यूनिवर्सिटी और उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक पड़ाव साबित हुआ, जिसने छात्रों के नवाचार, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया और यह दिखाया कि वे भविष्य के लिए अंतरिक्ष एवं तकनीकी समाधान प्रदान करने में सक्षम हैं।