देहरादून। शरीर का वज़न केवल तराज़ू पर दिखने वाला अंक नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा है। फिर भी, कईं लोग वज़न को केवल बाहरी रूप या सौंदर्य के नज़रिए से देखते हैं। इसी कारण यह गलतफहमी फैल गई है कि अधिक वज़न होना कोई गंभीर समस्या नहीं है और इसे किसी क्रैश डाइट (यानी तीव्र आहार नियंत्रण) से आसानी से ठीक किया जा सकता है। वास्तव में मोटापा एक गंभीर रोग है, जो कई बीमारियों, यहाँ तक कि कैंसर का भी ख़तरा बढ़ा सकता है।
मोटापा धीरे-धीरे शरीर के मेटाबॉलिज़्म और सामान्य क्रियाओं को प्रभावित करता है। शुरुआत में इसके लक्षण स्पष्ट रूप से समझ नहीं आते, इसलिए लोगों को बीमारी की गंभीरता का एहसास अक्सर बहुत देर से होता है। इस बीमारी से बचाव करने या इस पर नियंत्रण करने और लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में पहला कदम है इसकी जटिलताओं के बारे में जागरूक होना और समय रहते सक्रिय कदम उठाना।
मोटापा और शरीर पर इसके प्रभाव के बारे में बताते हुए डॉ. सुनील कुमार मिश्रा, निदेशक, डायबिटीज और एंडोक्रिनोलॉजी, ग्राफिक एरा हॉस्पिटल, देहरादून ने कहा, मोटापा एक जटिल दीर्घकालिक बीमारी है जिसमें असामान्य या अतिरिक्त शारीरिक चर्बी (एडिपोसिटी) स्वास्थ्य को हानि पहुंचाती है, दीर्घकालिक चिकित्सा जटिलताओं के जोखिम को बढ़ाती है और जीवन अवधि को कम करती है। 1 वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में एक बिलियन से अधिक व्यक्ति मोटापे के साथ जी रहे थे। उनके अनुमानों के अनुसार, 2035 तक लगभग 1.53 बिलियन लोग मोटापे से प्रभावित होंगे, जिनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निवास करने वालों की होगी। 2
मोटापे की मेटाबोलिक जटिलताओं में इंसुलिन प्रतिरोध जैसी समस्याएं शामिल हैं, जिनके कारण डायबिटीज़ का खतरा बढ़ता है। साथ ही रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों का जोखिम भी अधिक हो जाता है। 3
इन समस्याओं के अतिरिक्त, मोटापा 200 से अधिक बीमारियों से जुड़ा हुआ है, जिनमें पित्ताशय की पथरी, अस्थमा (दमा), पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज़ और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रिफ्लक्स डिजीज़ शामिल हैं। यह एंडोमेट्रियल कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और एडेनोकार्सिनोमा जैसे कुछ कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है। 4
मोटापे को रोकने या प्रबंधन के लिए सक्रिय उपाय के बारे में बताते हुए डॉ. सुनील कुमार मिश्रा, निदेशक, डायबिटीज और एंडोक्रिनोलॉजी, ग्राफिक एरा हॉस्पिटल, देहरादून ने कहा, मोटापे को एक रोग मानना और इसको नियंत्रित करने के लिए सक्रिय कदम उठाना सबसे पहला और ज़रूरी चरण है। समय पर हस्तक्षेप करना इस रोग को बढ़ने से रोकने के लिए अनिवार्य है। मोटापे को नियंत्रित करने के लिएरू प्रभावी नियंत्रण की शुरुआत स्वस्थ आहार अपनाने से होती है जो कुल कैलोरी सेवन को कम करने में मदद करे। इसके लिए मरीजों को अपनी कैलोरी खपत पर नज़र रखनी चाहिए और उसे घटाने के उपाय अपनाने चाहिए। इसका एक अच्छा तरीका है कम कैलोरी और अधिक फाइबर वाले पदार्थों का सेवन करना। इसके अलावा, आहार में सब्जियां, फल, साबुत अनाज, बीन्स, दालें, और कम वसा वाला माँस (लीन मीट) जैसे स्वास्थ्यवर्धक विकल्प शामिल होने चाहिए। साथ ही मरीजों को चीनी और नमक का सेवन सीमित रखना चाहिए और अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए।
ऽशारीरिक गतिविधि, मोटापे के नियंत्रण का एक अन्य आवश्यक घटक है। वज़न को प्रभावी तरीके से घटाने और उसे कम बनाए रखने के लिए, मरीजों को हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। इसके अलावा, दैनिक जीवन में भी अधिक से अधिक गतिशील रहना लाभकारी होता है। छोटे-छोटे बदलाव जैसे लिफ़्ट की जगह सीढ़ियाँ चढ़ना या नज़दीकी दूरी पर गाड़ी की बजाय पैदल चलकर जाना भी बड़े असर डाल सकते हैं। कुछ कार्यक्रम मरीज की जीवनशैली के कुछ पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे कि वर्तमान आदतें, भावनात्मक ट्रिगर्स या तनाव, ताकि वे जीवनशैली में बदलाव ला सकें। खाने से जुड़ी भावनात्मक या व्यवहारिक समस्याएं दूर करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेना लाभकारी हो सकता है। इसी तरह, सपोर्ट ग्रुप से जुड़ना भी सहयोग और प्रोत्साहन प्रदान करता है। जब जीवनशैली में किए जाने वाले बदलाव पर्याप्त नहीं होते हैं, तो डॉक्टर चिकित्सकीय प्रबंधन (सेमाग्लूटाइड, लिराग्लूटाइड, आदि), एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं (इंट्रागैस्ट्रिक बैलून या एंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी), या बैरिएट्रिक सर्जरी (गैस्ट्रिक स्लीव, गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी) की सलाह दे सकते हैं। हालाकिं मोटापे पर व्यापक अनुसंधान हुआ है, फिर भी कईं लोग इसे केवल सौंदर्य से जुड़ी समस्या मानते हैं । अत्यधिक वज़न या मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों और उनके परिवारों को इस बीमारी के दूरगामी स्वास्थ्य प्रभावों बारे में पूरी तरह जागरूक होना चाहिए और इससे बचाव और इसके नियंत्रण के लिए उपलब्ध रणनीतियों को समझना चाहिए।