देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीती 14 अगस्त को नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव में हुए बवाल, पांच जिला पंचायत सदस्यों की कथित किडनैपिंग और अध्यक्ष पद के बैलेट पेपर में टेंपरिंग और ओवरराइटिंग की शिकायत को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से चुनाव के दौरान हुई गड़बड़ियों व शिकायतों पर की गई पूरी कार्रवाई की विस्तृत जानकारी दो दिन के अंदर शपथ पत्र के साथ पेश करने को कहा है। इस मामले अगली सुनवाई आगामी एक सितंबर को होगी। आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ती सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि नैनीताल जिलाधिकारी वंदना सिंह व नैनीताल एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीना की रिपोर्ट पर आयोग ने क्या निर्णय लिया? जिस पर चुनाव आयोग की तरफ से कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने उस दौरान हुई कार्रवाही और आयोग ने क्या निर्णय लिया, इस पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा।
सरकार की तरफ से कहा गया कि जिसने याचिका दायर की है, वह खुद इस पद पर चुनाव नहीं लड़ रहा है। वह सदस्य है। इसलिए याचिका को निरस्त किया जाय। इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वे भी जीते हुए सदस्य हैं, वे इसको चुनौती दे सकते है।
मामले के अनुसार जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट ने 20 अगस्त को हाईकोर्ट में पुनर्मतदान की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। अपना याचिका ने उन्होंने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष पर की वोटिंग में एक बैलेट में टेंपरिंग और ओवरराइटिंग का आरोप लगाया था, जिसे अमान्य घोषित कर दिया गया। वहीं बिना प्रक्रिया को अपनाए आयोग ने चुनाव का परिणाम घोषित कर दिया।
दरअसल, 14 अगस्त को नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान जमकर बवाल हुआ था। इस हंगामे के बीच पांच जिला पंचायत सदस्य लापता हो गए थे। बीजेपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर पांचों जिला पंचायत सदस्यों को किडनैप करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस इस मामले के लेकर हाईकोर्ट चली गई थी। हाईकोर्ट ने नैनीताल जिलाधिकारी को चुनाव पर स्थगित करने का आदेश दिया था।
नैनीताल जिलाधिकारी ने हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद वोटिंग टाइम को बढ़ाया और देर रात को वीडियोग्राफी के साथ मतगणना भी करा दी थी। हालांकि चुनाव परिणाम घोषित नहीं किया था और उसे डबल लॉकर में रख दिया था। नैनीताल जिलाधिकारी वंदना सिंह का कहना था कि निर्वाचन आयोग की नियमावली के अनुसार जिला निर्वाचन अधिकारी को चुनाव कैंसिल या फिर स्थगित करने का अधिकार नहीं है। निर्वाचन आयोग ने 16 अगस्त चुनाव परिणाम घोषित किया था, जिसमें बीजेपी प्रत्याशी दीपा दर्मवाल एक वोट से जीती थी। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ने एक मतपत्र में टेंपरिंग और ओवर राइटिंग का आरोप लगाया था।