देहरादून। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित, शिक्षाविद् पूर्व संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ. वाचस्पति मैठाणी की सातवीं पुण्य तिथि पर देवभूमि प्राथमिक संस्कृत विद्यालय सारथी विहार देहरादून में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ. मैठाणी ने शिक्षा एवं संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए जो अतुलनीय कार्य किए आज उन कार्यों को आगे बढ़ाने की जरूरत है तभी हमारी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि मैठाणी ने देहरादून में अपने घर पर ही विश्व के पहले प्राथमिक संस्कृत विद्यालय की स्थापना की ताकि बच्चों में देववाणी संस्कृत के उत्थान एवं अपनी सनातन परंपरा को नजदीकी से सीख कर भविष्य में देश विदेश में उसका प्रचार प्रसार भी कर सके।
वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाने के साथ ही बालिकाओं में सुसंस्कार पैदा करने के लिए अलग से बालिका स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय के साथ-साथ अन्य विद्यालयों की स्थापना भी की जिसका लाभ पलायन रोकने के साथ-साथ उन बालिकाओं को भी मिल रहा है जो किसी कारणवश घर से दूर नहीं जा पाती हैं। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कविता, ममता, शीला, संतोषी, सरला, नेहा, दिव्या, हेमा, कनिशा रतूड़ी, उन्नति, कमलापति, कैलाशपति, उज्ज्वल, शिवांश आदि शिक्षक कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।